Ujjain Kaal Sarp Dosh Puja

कालसर्प पूजा

कालसर्प दोष क्या है?

कालसर्प दोष, ज्योतिष शास्त्र में एक प्रकार की ग्रह दोष की एक प्रकार है, जिसमें व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु नामक दो ग्रहों की स्थिति विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है। कालसर्प दोष का मतलब होता है कि राहु और केतु की यदि कुंडली में विशेष रूप से बलग्रहों के साथ संयुक्त बैठे होते हैं, तो इसे कालसर्प योग कहा जाता है।

कालसर्प दोष कैसे होता है?

कालसर्प दोष के होने का कारण ज्योतिष शास्त्र में आपके पिछले जन्मों के कर्मों से जुड़ा माना जाता है। यह माना जाता है कि यदि राहु और केतु कुंडली में किसी ग्रह के साथ बैठे होते हैं, तो व्यक्ति को कालसर्प दोष होता है। कालसर्प दोष के विभिन्न प्रकार हो सकते हैं, जैसे की “अनंत कालसर्प दोष,” “कुलिक कालसर्प दोष,” और “वासुकि कालसर्प दोष” इत्यादि।

कालसर्प दोष का निवारण क्या है?

कालसर्प दोष के होने का कारण ज्योतिष शास्त्र में आपके पिछले जन्मों के कर्मों से जुड़ा माना जाता है। यह माना जाता है कि यदि राहु और केतु कुंडली में किसी ग्रह के साथ बैठे होते हैं, तो व्यक्ति को कालसर्प दोष होता है। कालसर्प दोष के विभिन्न प्रकार हो सकते हैं, जैसे की “अनंत कालसर्प दोष,” “कुलिक कालसर्प दोष,” और “वासुकि कालसर्प दोष” इत्यादि।

कालसर्प दोष निवारण के पूजा-पाठ

व्यक्ति को कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए कालसर्प पूजा और मंत्रजाप करने की सलाह दी जाती है।

धार्मिक यात्रा

कालसर्प दोष को दूर करने के लिए कुछ तीर्थ यात्राएँ करने का सुझाव दिया जाता है, जैसे की नागनाथ ज्योतिर्लिंग की यात्रा।

दान और अन्नदान

कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए दान और अन्नदान करने का भी सुझाव दिया जाता है।

रत्न धारण

व्यक्ति को अपने राहु और केतु के दोष को शांत करने के लिए उनके गुणकर्म रत्नों का धारण करने की सलाह दी जा सकती है।

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